SEBI के खिलाफ PACL निवेशकों ने किया प्रदर्शन पैसे लौटाने के नियम इतने जटिल कि पैसा मिलना भी मुश्किल
पर्ल्स एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी PACL से जुड़े 7लाख लोगों के प्रतिनिधियों ने पूर्व संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत की अगुवाई में शुक्रवार को कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए राजावत ने कहा है कि पर्ल ग्रीन में मध्यम व निम्न मध्यम श्रेणी के किसानों श्रमिकों और व्यापारियों सहित कुल 6 करोड़ लोगों ने अरबों रुपए का निवेश किया है बाद में भारत सरकार ने कंपनी को बंद कर दिया इसके सभी बैंक खाते वह परिसंपत्ति SEBI के अधीन कर दी गई 5 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक के सभी लोगों का राशि नहीं लौटा रही हैं अब अगर 15 दिन के अंदर कोई फैसला नहीं होगा तो हजारों लोग आर पार की लड़ाई लड़ने को विवश हो जायेंगे उन्होंने कहा है कि PACL एक देशव्यापी कंपनी थी और 6 करोड़ नागरिकों ने इस कंपनी में अपनी जीवन भर की पूँजी लगा दी थी
पैसे नहीं लौटाने से कई एजेंट कर चुके हैं आत्महत्या
निवेशकों ने कहा है कि रुपए नहीं लौटाने से कई एजेंट आत्महत्या कर चुके हैं और अन्य भीषण मानसिक रूप से अवसाद जेल रहे हैं क्योंकि निवेशक अपना पैसा डूबने के लिए एजेंटों को जिम्मेदार ठहरा कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा रहे हैं ऐसे में अब केंद्र सरकार को इस कंपनी से जुड़े करोड़ों लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए SEBI को सख्त निर्देश जारी करना चाहिए कि पुनभुगतान प्रक्रिया को सरल कर अविलंब निवेशकों को उनके पैसे का भुगतान किया जाए
पल्स का भुगतान सेबी और लोढ़ा कमेटी करेगी भुगतान के लिए एजेंट से दुर्व्यवहार गाली-गलौज ना करें
प्रदर्शनकारियों को रघुराज सिंह सोलंकी बजरंग लाल वर्मा भवानी सिंह सोलंकी राम प्रसाद साहू अब्दुल कदीर राजेंद्र सिंह सोलंकी रामनिवास मेहता आदि ने संबोधित किया
SEBI मांग रही है दस्तावेज SEBI के खिलाफ PACL निवेशकों ने किया प्रदर्शन
वर्ष 2014 में सेबी द्वारा अधिग्रहण के दौरान इस कंपनी के पास 1.85000 करोड रुपए की संपत्ति मिली थी हालांकि 2 फरवरी 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने SEBI को आदेश दिया कि 6 माह में कंपनी के सभी निवेशकों का पैसा वापस किया जाए लेकिन सेबी ने लोगों को अब उनकी जमा पूंजी लौटाने के बजाय पुन भुगतान की प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी कि एक भी निवेशक का पैसा नहीं मिल पाया कंपनी के बंद होने के समय 2014 में ही सभी निवेशकों ने उनका पैसा भुगतान करने के नाम पर बांड और रसीदें में स्टांप पेपर के कंपनी में जमा करवा लिए गए थे वहां अब सेबी निवेशकों से वे दस्तावेज मांग रही हैं ऐसे में निवेशकों तक उनका पैसा पहुंचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है इसी प्रकार पैसा डूबने की पीड़ा केवल निवेशक ही नहीं एजेंट भी भुगत रहे हैं |
तो साथियों यह यह प्रदर्शन राजस्थान के कोटा में हुआ है निवेशकों का कहना है कि इस समस्या का समाधान 15 दिन में नहीं हुआ तो वह आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे