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चिटफंड कंपनी के निवेशकों को लौटाए 7.33 करोड़ CM ने खाते में भेजी राशि

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राज्य सरकार ने निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाली चिटफंड कम्पनी याल्स्को रियल इस्टेट एण्ड एग्रो फार्मिंग लिमिटेड की संपत्ति की कुर्की और नीलामी से मिली 7 करोड़ 33 लाख रुपयों की राशि चिटफंड कंपनी के निवेशकों को लौटा दिया है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस में आयोजित एक सादे समारोह में खुद यह राशि निवेशकों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर की। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में निवेशकों की राशि वापसी का वादा किया था। जिन 16 हजार 796 निवेशकों को पैसा लौटाया गया, उनमें से 13 हजार 586 छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के हैं। इसी प्रकार 197 लोग ओडिशा के, 2 हजार 971 महाराष्ट्र के और 42 निवेशक मध्यप्रदेश के हैं।

इस अवसर पर अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दलेश्वर साहू, सीएमडीसी के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, विशेष पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा भी उपस्थित थे। अधिकारियों ने बताया, राजनांदगांव जिले की चिटफंड कम्पनी याल्स्को रियल इस्टेट एण्ड एग्रो फार्मिंग लिमिटेड के खिलाफ शिकायतों के बाद राजनांदगांव कलेक्टर ने संपत्तियों की जानकारी ली थी।

कर्मचारी को कोरोना बताकर सहारा इंडिया कंपनी आफिस किया बंद

कंपनी के निदेशकों के स्वामित्व की कुल 292.36 एकड़ अचल संपत्ति पाई गई। विशेष अदालत ने इस जमीन की कुर्की का आदेश पारित किया। जमीन कुर्क करने के बाद अधिकारियों ने इसकी नीलामी की। इसमें अब तक 8 करोड़ 15 लाख 34 हजार 345 रुपये मिले हैं। इस चिटफंड कंपनी की राजनांदगांव और छुरिया तहसीलों में स्थित एक-एक सम्पत्ति की नीलामी अभी बाकी है।

नीलामी से मिला पैसा कुल दावे का महज 30 प्रतिशत

अधिकारियों का कहना है, कंपनी की संपत्तियों की नीलामी से जो राशि प्राप्त हुई है, वह दावा राशि का केवल एक तिहाई। जिला स्तरीय पांच सदस्यीय समिति ने 16 हजार 796 निवेशकों द्वारा प्रस्तुत दावे की राशि का 30 प्रतिशत यानी 7 करोड़ 32 लाख 95 हजार 528 रुपये लौटाने का निर्णय लिया है। अब नीलामी की बचत राशि 82 लाख 38 हजार 817 रुपए शेष रहेगी।

17 हजार से अधिक ने किया था दावा

27 जुलाई 2020 से 20 अगस्त 2020 तक कम्पनी के निवेशकों से दावा आपत्ति प्राप्त की गई। कुल 17 हजार 171 लोगों ने 24 करोड़ 75 लाख 47 हजार 337 रुपये का दावा किया। दावों की समीक्षा के बाद 16 हजार 796 निवेशकों की जानकारी पूरी पाई गई।

रायपुर में 5 कंपनियों के कुर्की आदेश
रायपुर में 13 कंपनियों की प्रापर्टी का आंकलन कर जिला प्रशासन के समक्ष प्रकरण पेश कर दिया गया है। कलेक्टर कार्यालय से 5 कंपनियों की संपत्ति कुर्की के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। अंतिम फैसले के लिए उसे कोर्ट में पेश कर दिया गया है। अफसरों के अनुसार कोर्ट के निर्देश के बाद संपत्ति कुर्क की जाएगी। उसके बाद प्राप्त होने वाले पैसे चिटफंड में ठगी के शिकार लोगों को दिए जाएंगे।

पिछले दो वर्षों में चिटफंड से 9 करोड़ वसूले गए

पिछले दो वर्षों में कुल 34 कंपनियों के विरूद्ध धोखाधड़ी की शिकायत प्राप्त होने पर 63 प्रकरण दर्ज हुये हैं। इनमें 43 डायरेक्टरों, 8 पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर न्यायालय प्रस्तुत किया गया। 2018 के पहले दर्ज 43 मामलों में 80 आरोपियों को अन्य राज्यों से गिरफ्तार कर लाया गया है। इनमें मध्यप्रदेश के 39, महाराष्ट्र के 9, राजस्थान के 5, ओडिशा के 9, दिल्ली के 7, पश्चिम बंगाल के 2, उत्तर प्रदेश के 7 और बिहार के 2 आरोपी शामिल हैं। 17 प्रकरणों में न्यायालय द्वारा कुर्की का आदेश पारित कर नीलामी, वसूली की कार्रवाई करके 9 करोड़ 4 लाख 40 हजार 220 रुपए सरकार के खाते में जमा हुए हैं।

9 करोड़ की राशि सरकार के खाते में
पिछली सरकार में किसी भी कंपनी की संपत्ति की नीलामी नहीं की गई थी। न ही कोई राशि जब्त की गई थी। 2019 में पुलिस ने चिटफंड कंपनियों और डायरेक्टरों की चल-अचल संपत्ति की पहचान कर 123 मामलों में कलेक्टर को कुर्की के लिए प्रतिवेदन भेजा। कलेक्टरों ने 29 अनियमित वित्तीय संस्थानों, डायरेक्टरों की सम्पत्ति को कुर्की के अंतिम आदेश हेतु कोर्ट में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इसमें से 17 मामलों में न्यायालय द्वारा कुर्की का अंतिम आदेश पारित कर नीलामी, वसूली की कार्यवाही कर 9.04 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा कराए गए हैं। 10 निवेशकों को 22.94 लाख वापस किए गए हैं। दो मामलों में नीलामी और वसूली की कार्यवाही चल रही है। 84 मामलों कलेक्टर द्वारा कुर्की के अंतरिम आदेश के लिए कार्यवाही की प्रक्रिया चल रही है।

5 साल में 1800 करोड़ से ज्यादा की ठगी
राज्य के अलग-अलग शहरों में कई नामों से 45 चिटफंड कंपनियां खुलीं। इन कंपनियों में 2010 से 2015 के बीच पांच साल में ही 1800 करोड़ से ज्यादा की ठगी की। रायपुर जिले में सबसे ज्यादा 800 करोड़ से ज्यादा की ठगी की गई। किसी भी कंपनी के डायरेक्टर छत्तीसगढ़ के नहीं थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ आकर लुभावने ऑफर देकर बेरोजगारों और कारोबारियों को जाल में फंसाया।

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