यह आदेश सेबी ने अगस्त 2014 में दिया था जो आप निचे पढ़ सकते है अवैध योजनाओं के जरिये निवेशकों से धन जमा करने के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए बाजार नियामक SEBI ने PACL LTD (पहले पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन) को तीन महीने के भीतर 49 हजार 100 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया है। सेबी ने कंपनी से तुरंत अवैध सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) को बंद करने को भी कहा है। कंपनी को 15 दिनों के भीतर सेबी को यह भी बताना होगा कि पैसों की वापसी के लिए धन की व्यवस्था कहां से करेगी। Pearls Group
Order to return 49,100 crore of investors to Perls Group
सेबी के आदेश के बाद पीएसीएल ने बयान जारी कर कहा है कि वह इसे प्रतिभूति अपीलीय ट्राइब्यूनल (सैट) में चुनौती देगी। बयान में कहा गया कि दुर्भाग्य से सेबी इस बात पर ध्यान नहीं दे सका कि कंपनी ने कहा था कि उसे सीआईएस नहीं माना जाए। कंपनी ने कहा है, ‘पीएसीएल ने सेबी की बेंच के सामने कहा था कि वह सीआईएस नहीं चला रही है। कंपनी ने अपने रीयल एस्टेट कारोबार के लिए जो धन जुटाया है, उसके पास उचित मात्रा में परिसंपत्तियां हैं।’ पीएसीएल ने कहा कि उसके लिए अपने ग्राहकों का हित सर्वोपरि रहा है और वह आगे भी इसी तरह का रुख बनाए रखेगी। Pearls Group
सेबी ने अपने 92 पेज के आदेश में कहा है कि कंपनी ने खुद स्वीकार किया है कि उसने 49,100 करोड़ रुपये जुटाए हैं और अगर पीएसीएल एक अप्रैल 2012 से 25 फरवरी 2013 के बीच जुटाए गए फंड्स का पूरा ब्योरा दे तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है। समझा जाता है कि सामूहिक निवेश योजना के जरिये कंपनी ने करीब 50,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। Perls Group
Order to return 49,100 crore of investors to Perls Group
सेबी ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार कंपनी, प्रमोटरों और डायरेक्टरों के खिलाफ धोखाधड़ी और व्यापार में अनुचित व्यवहार करने और सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के बारे में सेबी के नियमों के उल्लंघन के आरोप में आगे की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। इनमें तरलोचन सिंह, सुखदेव सिंह, गुरमीत सिंह, सुब्रत भट्टाचार्य, निर्मल सिंह भंगू, टाइगर जोगिंदर, गुरनाम सिंह, आनंद गुरवंत सिंह और उप्पल देविंदर कुमार के नाम शामिल हैं। पीएसीएल और निर्मल सिंह भंगू समेत इसके शीर्ष अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है। Pearls Group
सेबी के आदेश में कहा गया है, ‘जिन निवेशकों से यह राशि जुटाई गई, उनकी संख्या करीब 5.85 करोड़ है। इनमें वे ग्राहक भी शामिल हैं, जिन्हें जमीन आवंटित करने की बात कही गई थी और उन्हें अभी तक जमीन नहीं दी गई।’ अवैध तरीके से धन जुटाने के मामलों में यह न केवल राशि के लिहाज से बल्कि निवेशकों की संख्या को लेकर भी सबसे बड़ा मामला है। सहारा ने 25 हजार करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसे अवैध करार दिया गया था। सहारा के मामले में 65 लाख से ज्यादा निवेशक थे। Pearls Group
यह मामला सेबी की जांच के घेरे में पुराने मामलों में से एक है। नियामक ने 16 साल पहले फरवरी 1998 में पीएसीएल को कहा था कि वह न तो कोई योजना शुरू कर सकती है और न ही अपनी मौजूदा योजनाओं के तहत फंड जुटा सकती है। कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि वह कोई अवैध योजना नहीं चला रही है और जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल है। सेबी ने इस मामले में 30 नवंबर 1999 में पीएसीएल को नोटिस जारी किया था कि वह सीआईएस चला रही है, जिसमें निवेशकों से पैसे लेकर जमीन की खरीद, रजिस्टी और दूसरे कामों में लगाए जा रहे हैं। इसमें कहा गया था कि बेहतर होगा कि कंपनी सीआईएस के मानकों का पालन करे
sir ji hame supremcourt ka order 2.2.2016 ka mil gaya hai aapke dowara pdf.file me
aapko thanku
aap hamari hmesha madad karte rahna sir ji pacl ki jankari ke liye
Nasmkar sir ,2.2.2016supprimcourt order ki PDF bheje
is post me download ka option he vahi se download hoga